*** विद्यालय का इतिहास ***
वीर सावरकर विद्यालय का नामकरण संरक्षक डॉ० विजयशील पचौरी ने तत्कालीन समाचार पत्र वीर अर्जुन के सम्पादक श्री संदेश नरेन्द्र जी के द्वारा वीर सावरकर के प्रति लिखे गए लेखों से प्रभावित होकर किया।
शिलान्यास - इसका शिलान्यास आगरा के तत्कालीन सांसद श्री रामजी लाल सुमन के कर कमलों द्वारा 7 नवम्बर 1977 तदनुसार कार्तिक कृष्ण एकादशी दिन सोमवार विक्रम सम्वत् 2033 को सम्पन्न हुआ।
उद्घाटन - इसका उद्घाटन श्रीमंत राजमाता महारानी ग्वालियर विजयाराजे सिंधिया के कर कमलों द्वारा आषाढ़ कृष्ण एकादशी सम्वत् 2036 विक्रम संवत् तदनुसार 20 जून 1979 को समपन्न हुआ।
मान्यता - विद्यालय को 1986 में हाईस्कूल की मान्यता तथा 1989 में इण्टरमीडिएट की मान्यता मिली एवं शासन द्वारा वर्ष 2004 में वित्तीय सहायता प्राप्त हुई।
कक्षों के निर्माण हेतु सहायता करने वाले दानदाताओं की नाम -
1. श्री हरिपाल सिंह कुशवाहा की स्मृति में 1978-79 में उनके सुपुत्र श्री ठा० नत्थूसिंह व पुत्रवधू श्रीमती कटोरी देवी ने।
2. ठा० पं० मदनसिंह जी पचौरी एवं श्री मती सर्बति देवी की याद में 1978-79 उनके पुत्र श्री राघवेंद्र कुमार पचौरी ने।
3. ठा० पं० महेन्द्र सिंह पचौरी एवं श्रीमती लाड़ली देवी की स्मृति में 1978-79 उनके पुत्र श्री हुकमसिंह पचौरी ने।
4. आगरा के डाक्टर्स एवं शहर के वरिष्ठ व्यक्ति ने।
5. डॉ० सत्यशील पचौरी अमेरिका निवासी एवं उनके मित्रों ने।
6. ठा० पं० सोवरन सिंह जी पचौरी एवं श्रीमती जावित्री देवी जी की याद उनके छोटे पुत्र श्री जय किशन जी शर्मा (खजांची)एवं पौत्र श्री मधुसूदन ने। जिसका उद्घाटन श्रीमान देवेंद्र सिंह जी कुंवर उप शिक्षा निदेशक के कर कमलों से 15 अगस्त 1980 को हुआ।
7. ठा० प्यारेलाल उपाध्याय की याद में 1985 में उनके पुत्र श्री राम स्वरूप लम्बरदार एवं पुत्र वधू श्री मती श्यामा ने ।
8 श्री नत्थीलाल जी वार्ष्णेय की स्मृति में डॉ० अनिल वार्ष्णेय ने।
9. श्रीमती कलावती पचौरी ने 1992-93 में अपने पति श्री नरेन्द्र सिंह पचौरी की स्मृति में ।
10. डॉ० सत्यशील पचौरी जी की स्मृति में पत्नी श्रीमती कमला रानी पचौरी,पुत्री मृदुला और शुभा ने।
11. श्रीमती पुष्पलता भारद्वाज की स्मृति में पति प्रो० डॉ० जे० भारद्वाज ने पुत्री इंजी श्रीमती सीमा पांडे के सहयोग द्वारा।
12. श्री गिरीश चन्द्र पचौरी, श्री सतीश चन्द्र पचौरी एवं श्री राजू ने अपने पिता श्री लक्ष्मी नारायण पचौरी की स्मृति में।
13. पं० बौहरे वासुदेव प्रसाद उपाध्याय (लतुर्रा निवासी) की स्मृति में 2018 में डॉ० रश्मि उपाध्याय ने।
14. स्व० लतारानी पचौरी की स्मृति में 2023 में उनके पुत्र डॉ० आलोक शील पचौरी, पुत्रवधू श्रीमती गरिमा पचौरी, पौत्र अनयशील पचौरी एवं रुद्रशील पचौरी ने।
We try our level best to foster following in our children:
The mission of VEER SAVARKAR INTER COLLEGE SARGAWAN (UDise-09160102902) is to develop the Indian Culture and its rich traditions by adapting the best form of education, which will develop the physical and mental personality of student in their utility to society.
Assist students to get enjoyment through recreational activities and hobbies as well as correct reading habits for a lifetime pleasure and joy. Youthful energies to be properly channelised towards creativity and self actualization.
Students of our school are achieving a great milestone in their lives. They are serving the nation in a wide variety of fields whether it is Education, Defence or Medical.
Students enrolled
Teachers
Class Rooms
Labs
अपने गाँव में एक विद्यालय की स्थापना करना मेरे जीवन का एक सबसे बड़ा स्वप्न था। मेरा यह स्वप्न एक दिन साकार होने का समय आ गया और इसी पावन उद्देश्य को मन में रखते हुए मेरे द्वारा चालीस वर्षों पूर्व वीर सावरकर जूनियर हाईस्कूल की स्थापना की गई। जो कालांतर में हाईस्कूल एवं इण्टर कॉलेज बना। मेरे जीवन का यही सबसे बड़ा उद्देश्य था कि मेरे गांव में एक ऐसा विद्यालय होना चाहिए जिससे आसपास के क्षेत्र की बालिकाओं के साथ साथ बालकों को भी अपनी पढाई के लिए दूर न जाना पड़े तथा वे शिक्षा से वंचित न रहें।
इसकी स्थापना से लेकर आजतक मेरा यही प्रयास रहता है कि यह विद्यालय दिन-रात उन्नति करे। मेरी यही हार्दिक इच्छा रहती है कि इस विद्यालय के छात्र छात्राएं यहाँ शिक्षा प्राप्त करके उन्नति के शिखर पर पहुँचकर अपने साथ साथ इस विद्यालय का नाम भी रौशन करें।
डॉ० विजयशील पचौरी
(संस्थापक एवं संरक्षक)
अपने पूज्य पिताजी डॉ० विजयशील पचौरी जी के स्वप्न को पूरा करने के उद्देश्य से वीर सावरकर इण्टर कॉलेज के प्रबन्धक के उत्तरदायित्व का निर्वहन मेरे द्वारा किया जा रहा है। आज भी पूज्य पिताजी के मार्गदर्शन में ही विद्यालय के विकास के लिए सदैव प्रयासरत रहता हूँ। पेशे से चिकित्सक होकर समयाभाव होने पर भी विद्यालय के विकास से जुड़े कार्यों के लिए समय निकाल ही लेता हूँ। मेरी परमपिता परमात्मा से सदैव यही कामना रहता है कि इस विद्यालय के छात्र छात्राएं सदैव अपने जीवन में सफलता प्राप्त करके पिताजी के साथ साथ मेरे भी स्वप्न को साकार करने के साक्षी बनें। जीवन में जब भी आवश्यकता होगी इस विद्यालय की सेवा के लिए मैं तन, मन, धन से सदैव प्रस्तुत रहूंगा।
डॉ० मनुशील पचौरी
(प्रबन्धक)
मुझे इस विद्यालय के प्रधानाचार्य के पद ग्रहण किए हुए अभी अधिक समय नहीं हुआ है। परन्तु जब से यह उत्तरदायित्व मुझे मिला है तभी से मैं प्रयासरत हूँ कि यह विद्यालय जनपद में ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर भी अध्ययन,खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं अन्य पाठ्यसहगामी क्रियाकलापों इत्यादि में अपनी एक अलग पहचान स्थापित करे। इसी पावन उद्देश्य को मन में रखकर मैं अनवरत प्रयास कर रहा हूँ। इसी क्रम में मेरे आने के बाद विद्यालय में स्काउट गाइड का प्रारम्भ, बैंड (घोष), साउंड सिस्टम, ओटोमैटिक पीरियड अलार्म सिस्टम, विज्ञान वर्ग की मान्यता हेतु एक कक्ष का निर्माण इत्यादि की व्यवस्था मेरे द्वारा कराई गई है। इस समय विद्यालय में अनुशासन व्यवस्था बहुत ही अच्छी है। सभी छात्र छात्राएं समय से विद्यालय आकर अध्ययन कर रहे हैं। हमारे शिक्षकगण पूर्ण मनोयोग से अपने विषय का अध्यापन कार्य कराते हैं। मैं चाहूंगा कि सभी छात्र छात्राएं अनुशासित रहते हुए अध्ययन के साथ साथ अन्य पाठ्यसहगामी क्रियाकलापों में भी विद्यालय को उन्नति के शिखर पर ले जाने का प्रयास करें।
डॉ० संजय शर्मा
एम०ए०, बी०एड०, नेट, पी-एच०डी०
(प्रधानाचार्य)